भारत की राजनीति: बदलते समीकरण और नई दिशा
भारत की राजनीति तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। अब यह केवल राष्ट्रीय दलों के इर्द-गिर्द सीमित नहीं रही, बल्कि क्षेत्रीय दलों की भूमिका पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली हो गई है। ये दल न केवल अपने राज्यों में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं, बल्कि केंद्र की राजनीति में भी निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। इससे भारतीय लोकतंत्र में विविधता और प्रतिस्पर्धा दोनों का विस्तार हुआ है।
गठबंधन राजनीति ने भी नया रूप ले लिया है — पहले जहाँ गठबंधन सिर्फ सत्ता प्राप्ति का माध्यम माना जाता था, वहीं अब यह वैचारिक और क्षेत्रीय संतुलन का प्रतीक बनता जा रहा है। बड़े और छोटे दल मिलकर नए समीकरण बना रहे हैं, जिससे राजनीतिक परिदृश्य लगातार बदल रहा है।
वहीं जनता की सोच और अपेक्षाएँ भी बदली हैं। अब लोग केवल जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं दे रहे, बल्कि विकास, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पारदर्शी शासन जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों के प्रसार ने भी आम नागरिक को अधिक जागरूक और सक्रिय बना दिया है।
कुल मिलाकर, भारत की राजनीति एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है — जहाँ जनता ही सबसे बड़ी शक्ति है, और उसके मुद्दे ही चुनावी परिणाम तय करने वाले कारक बन गए हैं।
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